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मौसम की सत्ता

*मौसम की सत्ता और मैं*

वसंत अवसान पर है , ग्रीष्म की दस्तक हो चुकी है , हवा में आवारापन आ गया है। मौसम 41 डिग्री तापमान में मदहोश हो रहा है । आसमान से क्षितिज तक गर्मी अपना जलवा बिखेर रही है । इस मौसम को को यदि सुनहरा मौसम कहा जाए तो पूरा परिदृश्य परिभाषित हो जाता है । चारों तरफ सुनहरा माहौल है-- सुनहरी कड़ी धूप , सुनहरे गेहूं के खेत , सुनहरे आम के बौर और सुनहरे अमलतास के फूल ।इन सबका कोरस फागुनी माहौल को अलविदा कह रहा है । पिछले दो दिन गांव पर था । मेरे साथ एक विचित्र बात है कि मुझे कटती हुई फसल देखना अच्छा नहीं लगता । मुझमें खिन्नता का बोध होता है । इससे एक सेंस ऑफ लॉस मष्तिष्क में घर कर जाता है । मैं झूले पर बैठा सोच रहा था कि ये सुनहरे गेहूं के पौधे जो अभी तक सुबह से शाम तक सूर्य की सुनहरी किरणों से अठखेलिया खेल रहे थे , दो तीन दिन में धराशायी हो जाएंगे । सब कुछ, कुछ दिनों के लिए सूना हो जाएगा । चारों तरफ उजाड़ और उचाट ही छूट जाएगा ।
लेकिन इसके विपरीत यह भी देखता हूँ कि इस मौसम में सृजन और संहार का अद्भुत द्वंद्व भी है । जिस गेहूं के कटने पर दुख हो रहा है उसी खेत में खड़े आम के पेड़ से बौर की गंध और टिकोरों कि किलकारी भी सुनाई दे रही है । यह सृजन और संहार का अद्भुत नजारा है। गुड़हल के फूल और देशी गुलाब की रौनक एक नए सुबह की आहट दे रहे हैं । यही तो प्रकृति है । ऐसे ही मौसम को देखकर अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि शेली इसमें ईश्वर के रूप की कल्पना करता है , जिसे वह पालक और संहारक के रूप में देखता है । इस मौसम में पछुआ हवा का रोल सबसे महत्वपूर्ण होता है । कवि अपनी कविता Ode to the West Wind में पछुआ हवा का आह्वान Destroyer और Preserver के रूप में करता है ;
शेली इस मौसम में चलने वाली पछुआ हवा को सर्वशक्तिशाली और सर्व विद्यमान सत्ता के रुप में देखते हैं। उनका यह मानना है कि यह ईश्वरीय है और पूरी सृष्टि को प्रभावित करता है । अपनी कविता Ode to the West Wind मे कवि के ही शब्दों में पछुआ हवा का आह्वान पढ़िए;

Wild Spirit which art moving everywhere ;
Destroyer and preserver;
hear, o' hear !

आगे वे अपने उद्धार के लिए पछुआ हवा से प्रार्थना करते नजर आते हैं और कहते हैं;

Lift me as a wave, a leaf, a cloud !
I fall upon the thorns of life ! I bleed !
................................
The trumpet of a prophecy ! O Wind ,
If Winter comes , can Spring be far behind ?

जैसे तुम लहरों को , पत्तों को और बादलों को उठा कर अपनी सत्ता में समाहित करके उन्हें पुनर्जीवन देते हो उसी तरह मुझे भी उठा लो; मैं अपनी जिंदगी के कांटों में फंस गया हूँ मुझसे सारा रक्त निकल गया है और मैं निस्तेज बन गया हूँ । इसलिए हे शक्तिशाली हवा ! तुम्ही से उम्मीद है । तुममें मैं उस भविष्य की दुंदुभी सुन रहा हूँ जो यह संदेश देती है कि यदि आज शीत का प्रकोप और दुख के दिन हैं तो कल एक फिर वसंत आएगा और जीवन खुशियों से भर जाएगा !

जॉन कीट्स ने तो इस मौसम को पूरी सृष्टि और प्रकृति की संरचना का नियंता ही निरूपित कर दिया है ।वे इसमें प्रकृति की सभी जड़ और चेतन ( Dynamic and statis) के द्वंद्व को देखते हैं । हर वस्तु जिसका आरंभ है उसका अंत है ।
प्रकृति के इस रूप को कीट्स बड़े करीब से अनुभव करते हैं । वे इंद्रियों और अनुभूतियों के सौंदर्य के अद्भुत चितेरे हैं । दृश्य (visual) श्रव्य ( auditory) गंध ( smell) और स्पर्श ( touch) के सूक्ष्म विवेचन के वे कवि हैं जो उन्हें संस्कृत के कवियों के स्थूल बिंबों के समक्ष ले आकर खड़ा कर देता है । इसपर कभी अलग से लिखेंगे । यहां मौसम की बात हो रही है । कीट्स ने इस मौसम का मानवीकरण करके इसे इंसान के विभिन्न रूपों में उकेरा है। इन सभी बिंम्बों में आम किसान और मजदूर की ही केन्द्रीयता है । इस कविता में जॉन कीट्स भाषा और शिल्प दोनों की कसौटी पर विश्व के एक परिपक्व रोमांटिक कवि के रूप में सामने आजाते हैं ।
ऑटम सीजन को वे परिपक्वता का मौसम कहते हैं ( अपने यहां का पतझड़ नहीं )जिसमे हर चीज क्रिएट हो रही है और पक रही है और नष्ट हो रही है । इस सीजन को वे कहते हैं ;

"Season of mists and mellow fruitfulness

वे इस मौसम को कई रूपों में देखते हैं जैसे उस फसल काटने वाले किसान के रूप में जो अपने खेत - खलिहान में बेपरवाह बैठा है और जिसके बाल धीरे धीरे हवाओं में उड़ रहे हैं जैसे दाने से अलग होकर भूसे का गुबार उड़ता है या उस मजदूर के रूप में जो फ़सल काटते काटते आलस्य से खेत में ही सो गया है;
"Thee sitting careless on grannary floor,
Thy hair soft- lifted by the winnowing wind ,
Or on a half - reaped furrow sound asleep "

एक मजदूर किसान जो फसल और घास को बटोर कर और बोझ बांधकर सर पर रखे नाला पर करते समय अपने गर्दन को स्थिर बनाने की कोशिश कर रहा है;

Sometimes like a gleaner thou dost keep
Steady thy laden head across a Brook ...

इसी तरह अनेक सटीक प्रसंग हैं । फसल बोने से फूलने ,फलने , पकने और गिरने तक की गतिविधियों को कीट्स तीक्ष्ण अनुभूतियों में तब्दील कर देते हैं। अरे मैं कहाँ से कहाँ पहुंच गया और किन भावनाओं के अतिरेक में बह गया । बाकी फिर कभी ।

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